Saturday, December 27, 2008
Friday, December 26, 2008
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं होता है रात के बाद उजाला....
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं बहती है नदिया की धारा....
सोच सोच के दिल ये हारा, किसने बनाया ये जहान सारा.
क्यूं दिखता है कभी चंद्रमा आधा, क्यूं उठती है रन में आंधी.
क्यूं मचता है समंदर में तूफां, क्यूं बदलती है मौसम की पारी....
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
क्यूं मुश्किल में लोग पकड़ते है पतली गली, क्यूं बढ़ती है सचिन की सदिया.
क्यूं उड़ते है हवा में पंछी, क्यूं जीती नहीं बिन पानी मचली.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
क्यूं होती है पहाडो को चोटी, क्यूं गिरता है बारिश का पानी.
क्यूं देते है डोक्टर सुई और दवाई, क्यूं मरता है फिल्मो में विलन.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं होता है रात के बाद उजाला....
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं बहती है नदिया की धारा....
सोच सोच के दिल ये हारा, किसने बनाया ये जहान सारा.
क्यूं गिरते नहीं आसमां के तारे, क्यूं लगती है खुरशी नेता को प्यारी.
क्यूं सोती है दुनिया सारी, क्यूं लगती है ज़िन्दगी न्यारी.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
क्यूं सजती है दुल्हन नवेली, क्यूं लगती है मौत गाली.
क्यूं होती है हवेली पुरानी, क्यूं खुजलाते है बन्दर सारे.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
क्यूं कहते है लड़की को साँप के भारे, क्यूं होता है दर्द दिल में.
क्यूं खिलता है कमल कीचड़ में, क्यूं होता नहीं पप्पू पास.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं होता है रात के बाद उजाला....
सोच सोच के दिल ये हारा, क्यूं बहती है नदिया की धारा....
सोच सोच के दिल ये हारा, किसने बनाया ये जहान सारा..
क्यूँ पीते है लोग coke ठंडी, क्यूँ जाती है भेंस पानी में.
क्यूँ उठते है मेरे मन में ये सवाल सारे, क्यूँ लिखता हूँ में ऐसे उटपटांग से गाने.
सोच सोच के दिल ये हारा,सोच सोच के दिल ये हारा....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
आजा मेरी राहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये मंजिले....
आजा मेरे ख्वाबो में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये नींदे....
आजा मेरी सांसो में में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये हस्ती....
आजा मेरे होठो पे...कर दू तेरे नाम...मेरी ये मुस्कुराहते....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
आजा मेरी नज़रो में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये आँखे....
आजा मेरे लबो पे....कर दू तेरे नाम...मेरी ये आवाज़....
आजा मेरे हाथो में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये लकीरे....
आजा मेरी धड़कनों में...कर दू तेरे नाम...मेरा ये दिल....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
आजा मेरे सफ़र में...कर दू तेरे नाम...मेरा ये कारवा....
आजा मेरी ज़िन्दगी में...कर दू तेरे नाम...मेरा ये जहाँ....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
आजा मेरी बाहों में...कर दू तेरे नाम...मेरी ये जिंदगी....
दिल क्या कहता है मेरा क्या में बताऊ....तुम ये समजोगे सायद में पागल हूँ.
दिल क्या कहता है मेरा क्या में बताऊ....तुम ये समजोगे सायद में पागल हूँ.
दिल करता है TV Tower पे में चढ़ जाऊ
चिल्ला चिल्ला के में ये सबसे कह दू
Rock On....हे ये वक़्त का इशारा
Rock On....हर लम्हा पुकारा
Rock On....यूँ ही देखता है क्या तू
Rock On....ज़िन्दगी मिलेगी ना दुबारा
दिल करता है सड़को पर जोर से गाऊ
सब अपने अपने घर की खिड़की खोले
फिर में ऐसे जोशीले गीत सुनाऊ
मेरे गीतों को सुन के सब ये बोले
Rock On....हे ये वक़्त का इशारा
Rock On....हर लम्हा पुकारा
Rock On....यूँ ही देखता है क्या तू
Rock On....ज़िन्दगी मिलेगी ना दुबारा
जैसे जीने को दिल चाहे जी वैसे तू
मेरी तो है बस ये राइ की
अपने जितने अरमान है पुरे कर ले तू
Rock On....हे ये वक़्त का इशारा
Rock On....हर लम्हा पुकारा
Rock On....यूँ ही देखता है क्या तू
Rock On....ज़िन्दगी मिलेगी ना दुबारा
Rock On....हे ये वक़्त का इशारा
Rock On....हर लम्हा पुकारा
Rock On....यूँ ही देखता है क्या तू
Rock On....ज़िन्दगी मिलेगी ना दुबारा
by Javed Akhtar
in Rock On (Hindi Movie)
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु बादल से बुँदे गिरती है,....कंयु हवाओ में तूफान उठता है.
कंयु आँखों में नमी आती है,....कंयु दिल में हलचल होती है..........
कंयु भीड़ में अकेलापन महसूस होता है,....कंयु रात में तारे ज़गमागते है.
कंयु पेड़ पे डालिया जुलती है,....कंयु बहारो में फूल खिलते है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु पथजल में पत्ते मुर्जाते है,....कंयु गीली मिट्टी से खुसबु छुटती है.
कंयु दिल जोरो से धड़कता है,....कंयु तन्हाइयो में बेचनी सी रहेती है.
कंयु रेगिस्तान में भवंडर मचता है,....कंयु चांदनी रात मदहोश करती है.
कंयु सूरज की पहेली कीरन से दिन की सुरुआत होती है,....कंयु नज़रे मिलती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु समंदर में लहरे उठती है,....कंयु पंछी गाने सुनाते है.
कंयु बचपन के दिन याद आते है,....कंयु आँखों आँखों में बाते हो जाती है.
कंयु बात होठो तक आके रुकती है,....कंयु मंजिल से राह जुड़ती है.
कंयु फूलो से खूसबू आती है,....कंयु पत्तो पे शबनम बनती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु रात में खामोशी छाती है,....कंयु पंछी दाना चुनके उड जाते है,
कंयु सांसो से सांसे जुड़ जाती है,....कंयु जिन्दगी कुछ कहती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु बादल से बुँदे गिरती है,....कंयु हवाओ में तूफान उठता है.
कंयु आँखों में नमी आती है,....कंयु दिल में हलचल होती है..........
कंयु भीड़ में अकेलापन महसूस होता है,....कंयु रात में तारे ज़गमागते है.
कंयु पेड़ पे डालिया जुलती है,....कंयु बहारो में फूल खिलते है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु पथजल में पत्ते मुर्जाते है,....कंयु गीली मिट्टी से खुसबु छुटती है.
कंयु दिल जोरो से धड़कता है,....कंयु तन्हाइयो में बेचनी सी रहेती है.
कंयु रेगिस्तान में भवंडर मचता है,....कंयु चांदनी रात मदहोश करती है.
कंयु सूरज की पहेली कीरन से दिन की सुरुआत होती है,....कंयु नज़रे मिलती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु समंदर में लहरे उठती है,....कंयु पंछी गाने सुनाते है.
कंयु बचपन के दिन याद आते है,....कंयु आँखों आँखों में बाते हो जाती है.
कंयु बात होठो तक आके रुकती है,....कंयु मंजिल से राह जुड़ती है.
कंयु फूलो से खूसबू आती है,....कंयु पत्तो पे शबनम बनती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु रात में खामोशी छाती है,....कंयु पंछी दाना चुनके उड जाते है,
कंयु सांसो से सांसे जुड़ जाती है,....कंयु जिन्दगी कुछ कहती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
रुकी रुकी सी Life अब चलने लगी है.
जिंदगी अब ज़ोर से अपने Track पर दोड़ने लगी है.......2
आँखों में Dreams लिए अब बढ़ने लगी है.
जिंदगी अब ओर Fast सी होने लगी है.
ख्वाबो को Fulfill करने लगी है.
राहों की Speed अब बढ़ने लगी है.
रुकी रुकी सी Life अब चलने लगी है.
जिंदगी अब ज़ोर से अपने Track पर दोड़ने लगी है.
मुजको तो अब यह जन्हा Beautiful लगने लगा है.
दिल में एक Flower सा खिलने लगा है.
अब तो Moon भी नजदीक दिखने लगा है.
ओर Sky भी छोटा लगने लगा है.
रुकी रुकी सी Life अब चलने लगी है.
जिंदगी अब ज़ोर से अपने Track पर दोड़ने लगी है.
सिने में अब एक Passion सा बढ़ रहा है.
मेरा हर रूप अब एक Fashion सा लग रहा है.
अब तो मेरा Logic भी यह कह रहा है की,सारा जहा अब Magik सा लग रहा है.
रुकी रुकी सी Life अब चलने लगी है.
जिंदगी अब ज़ोर से अपने Track पर दोड़ने लगी है..........2
सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है........2
आँखों में कंही किसी ओर एक चमक सी बढ़ रही है.
जेसे कड़ी धुप में एक ठंडक सी हो रही है.
मन में एक हलकी उम्मीद सी जग रही है.
जेसे कंही दूर किसी ओर तूफानी हवाएँ सी उठ रही है.
दिल में एक हलचल सी मच रही है.
कोई बात जुबा पे आ के रूक सी रही है.
सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है.
चहरे पे तेरे एक चमक सी दिख रही है.
जेसे हवाओ में एक महक सी उठ रही है.
कानो में एक हलकी सी आवाज़ गूंज रही है.
जेसे राहे मंजिल तक ठहरती सी दिख रही है.
कदमो में एक पहल सी हो रही है.
जेसे थोडी दूर कंही एक धुंधली तस्वीर बनती सी दिख रही है.
सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है.
जिंदगी अब एक गाडी सी लग रही है.
जो मंजील तक पहोंचती हुई सी लग रही है........
Wednesday, December 24, 2008
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