Friday, December 26, 2008

कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु बादल से बुँदे गिरती है,....कंयु हवाओ में तूफान उठता है.
कंयु आँखों में नमी आती है,....कंयु दिल में हलचल होती है..........

कंयु भीड़ में अकेलापन महसूस होता है,....कंयु रात में तारे ज़गमागते है.
कंयु पेड़ पे डालिया जुलती है,....कंयु बहारो में फूल खिलते है.

कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु पथजल में पत्ते मुर्जाते है,....कंयु गीली मिट्टी से खुसबु छुटती है.
कंयु दिल जोरो से धड़कता है,....कंयु तन्हाइयो में बेचनी सी रहेती है.

कंयु रेगिस्तान में भवंडर मचता है,....कंयु चांदनी रात मदहोश करती है.
कंयु सूरज की पहेली कीरन से दिन की सुरुआत होती है,....कंयु नज़रे मिलती है.

कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु समंदर में लहरे उठती है,....कंयु पंछी गाने सुनाते है.
कंयु बचपन के दिन याद आते है,....कंयु आँखों आँखों में बाते हो जाती है.

कंयु बात होठो तक आके रुकती है,....कंयु मंजिल से राह जुड़ती है.
कंयु फूलो से खूसबू आती है,....कंयु पत्तो पे शबनम बनती है.

कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कंयु रात में खामोशी छाती है,....कंयु पंछी दाना चुनके उड जाते है,
कंयु सांसो से सांसे जुड़ जाती है,....कंयु जिन्दगी कुछ कहती है.

कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.
कभी कभी मेरी तन्हाई मुजसे बाते करती है; ओर रहरह कर यही सवाल करती है.

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