Friday, December 26, 2008



सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है........2

आँखों में कंही किसी ओर एक चमक सी बढ़ रही है.
जेसे कड़ी धुप में एक ठंडक सी हो रही है.
मन में एक हलकी उम्मीद सी जग रही है.
जेसे कंही दूर किसी ओर तूफानी हवाएँ सी उठ रही है.

दिल में एक हलचल सी मच रही है.
कोई बात जुबा पे आ के रूक सी रही है.
सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है.

चहरे पे तेरे एक चमक सी दिख रही है.
जेसे हवाओ में एक महक सी उठ रही है.
कानो में एक हलकी सी आवाज़ गूंज रही है.
जेसे राहे मंजिल तक ठहरती सी दिख रही है.

कदमो में एक पहल सी हो रही है.
जेसे थोडी दूर कंही एक धुंधली तस्वीर बनती सी दिख रही है.
सिने में कंही किसी ओर एक आग सी जल रही है.
जेसे घने अँधेरे में एक चिनगारी सी जल रही है.

जिंदगी अब एक गाडी सी लग रही है.
जो मंजील तक पहोंचती हुई सी लग रही है........

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