Saturday, January 3, 2009


सफ़र मह्होबत का चलता रहे,

सूरज चाहे हर शाम ढलता रहे,

कभी ना ढलेंगी अपनी दोस्ती की सुबह,

चाहे हर रिश्ता रंग बदलता रहे.

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